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कार्यबल में बढ़ती महिला शक्ति

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हमारे सामाजिक पारिवारिक परिवेश में दिखता है कि कार्यबल में आधी आबादी की भागीदारी बढ़ ही रही है। इस बदलाव को पुख्ता करने वाले आंकड़े सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा रोजगार से जुड़ी गतिविधियों में महिलाओं की हिस्सेदारी से जुड़े सर्वेक्षण में सामने आए हैं। सर्वे के अनुसार वर्ष 2019 में आजीविका संबंधित गतिविधियों में स्त्रियों की भागीदारी 21.8 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2024 में 25 प्रतिशत हो गई है।

भारतीय महिलाएं सदा से ही श्रमशील भूमिका में रही हैं। खेती-किसानी से लेकर घरेलू कामकाज के किसी न किसी मोर्चे पर डटी रही हैं। स्त्रियों की यह भागीदारी व्यावसायिक गतिविधियों के बजाय अवैतनिक कार्यों में अधिक रही है । सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार, 2019-2014 के दौरान महिलाओं द्वारा घरेलू काम में निवेश किया गया समय घटा है। मंत्रालय का ‘टाइम यूज सर्वे’ नामक अध्ययन बताता है कि अवैतनिक घरेलू कार्यों में महिलाओं की भागीदारी पांच साल पहले लगभग 315 मिनट देने की थी। बदलते परिवेश में आधी आबादी द्वारा घरेलू कामकाज को दिया जा रहा वक्त कम हुआ है। वर्ष 2024 में यह अवधि घटकर 305 मिनट रह गई है। आंकड़ों के दिखते सकारात्मक रुझान अहम बदलाव को सामने रखते हैं। आमदनी वाले क्रिया-कलापों में स्त्रियों की भागीदारी बढ़ना आर्थिक आत्मनिर्भरता से जुड़ा अहम पक्ष है। देश के विकास में महिलाओं की मजबूत होती स्थिति की बानगी है। आय देने वाली गतिविधियों में महिलाओं के रुचि लेने संबंधित बदलाव व्यक्तिगत चुनाव और पारिवारिक सहयोग के वैचारिक मोर्चे पर भी रेखांकित करने योग्य पक्ष है।

हमारे परंपरागत ढांचे में पुरुषों की तुलना में सशुल्क क्रिया-कलापों में महिलाओं की भागीदारी कम रही है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के इस सर्वे में भी यह अंतर सामने आया है। आंकड़े बताते हैं कि 41 प्रतिशत महिलाओं ने घर के सदस्यों की देखभाल को समय दिया, वहीं पुरुषों के लिए यह हिस्सा 21.4 फीसद था । स्त्रियां घर के सदस्यों की देखभाल संबंधित कार्यों में हर दिन 140 मिनट बिताती हैं तो पुरुष हर दिन 74 मिनट का वक्त इन गतिविधियों को दे रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट भी बताती है कि वैश्विक स्तर पर महिलाएं अवैतनिक घरेलू कार्यों के लिए कुल घंटों का 76 फीसद समय देती हैं। भारत सहित अन्य एशियाई देशों में यह आंकड़ा 80 फीसद से भी ज्यादा है। वहीं आक्सफैम की ‘टाइम टू केयर’ की रिपोर्ट कहती है कि वैश्विक स्तर पर महिलाएं सालभर में करीब 10 हजार अरब डालर के अवैतनिक घरेल कार्य करती हैं। ऐसे में वैतनिक कार्यों में महिलाओं की हिस्सेदारी का बढ़ना रोजगार के मोर्चे पर सकारात्मक बदलाव है। यह रुझान बेहतर भविष्य की उम्मीद जगाता है।

विजय गर्ग
सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट, पंजाब

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