Breaking News

इम्तिहान के दिन आ गए

EXAMINATION



इम्तिहान के दिन आ रहे हैं और चिंता गई है। बहुत से बच्चे तो मानते हैं कि किसी न किसी तरह इम्तिहान टल जाएं। कई बार तो ऐसा होता है कि पूरे साल मेहनत की होती है, लेकिन जैसे ही प्रश्न-पत्र सामने आता है, सब कुछ भूल जाते हैं या बहुत कुछ आते हुए भी उस समय ठीक से याद नहीं आता। ऐसी मुश्किलों से हर पीढ़ी लोग गुजरे हैं। प्रश्न-पत्र सामने आने से पहले खूब डर लगता था। दिल की धड़कनें बढ जाती थीं। पेपर से पहले रात भर तरह-तरह की चिंता में नींद नहीं आती थी। डर लगा रहता था कि कहीं कुछ पढ़ने से रह न गया हो। तब बड़े समझाते थे कि तुम्हें सब आता है, घबराओ मत। प्रश्न-पत्र जब मिलेगा, तब सारा डर खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगा। पूरे भरोसे से परीक्षा देना। पहले ध्यान से पूरे प्रश्न-पत्र को पढ़ना । जो आता हो, उसे सबसे पहले करना। बच्चे भी पूरी रात जागकर पढ़ाई करते थे और जब सुबह होती थी तो नींद आने लगती है। परीक्षा देने जाते वक्त रास्ते भर सिर्फ यही सोचते रहते थे कि कैसा प्रश्न-पत्र आएगा।
इन दिनों भी बच्चों को इस तरह की परेशानियां और चिंताएं बहुत होती हैं । इम्तिहानों के डर से बहुत से बच्चे घर तक से भाग जाते हैं या बीमार पड़ जाते हैं। इसीलिए इन दिनों सीबीएसई और तमाम राज्य सरकारें इम्तिहान के दिनों में बच्चों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी करती हैं। तमाम एफएम चैनल्स में मनोवैज्ञानिक और काउंसलर बच्चों की मदद के लिए मौजूद रहते हैं। इम्तिहान के समय होने वाली चिंता, समय पर कुछ न याद आना, प्रश्न-पत्र देखते ही सब कुछ भूल जाने को अंग्रेजी में ‘टेस्ट एंग्जाइटी’ कहते हैं। बताया जाता है कि सोलह से बीस फीसदी तक बच्चे तरह-तरह की एंग्जाइटी के शिकार होते हैं। अमेरिका में दस से लेकर चालीस फीसदी तक बच्चे टेस्ट एंग्जाइटी से पीड़ित पाए गए हैं। इम्तिहानों में अच्छा कर सकें, इसके लिए थोड़ी-बहुत चिंता या तनाव तो ठीक है, लेकिन इसका जरूरत से ज्यादा बढ़ जाना ठीक नहीं है। बच्चों को तरह-तरह के डर सताते हैं कि कहीं फेल न हो जाएं। नंबर अच्छे नहीं आए तो माता-पिता, दोस्तों और अड़ोसी पड़ोसियों का सामना कैसे करेंगे?
वैसे भी, इन दिनों माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे के हर विषय में सौ में सौ अंक आएं। वे क्लास में ही नहीं, पूरे बोर्ड एग्जाम में टॉप करें। इस तरह की उम्मीद बच्चों का तनाव बढ़ाती हैं। न केवल तनाव, बल्कि उल्टी, पेट दर्द, जरूरत से ज्यादा पसीना आने लगता है। इससे बच्चों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। एनसीआरबी की रिपोर्ट में बताया गया था कि बोर्ड के इम्तिहानों की चिंता के कारण आत्महत्या करने वाले बच्चों की तादाद तमिलनाडु में सबसे ज्यादा है। वहां बोर्ड के इम्तिहानों से पहले सौ बच्चों पर एक अध्ययन किया गया था। इनमें पचास लड़के और पचास लड़कियां थीं। इस अध्ययन में पता चला कि आठ फीसदी बच्चे ऐसे थे, जिनमें इम्तिहान की चिंता या टेस्ट एंग्जाइटी जरूरत से ज्यादा थी। इसे सीवियर टेस्ट एंग्जाइटी कहते हैं। अड़तीस फीसदी में कुछ कम और चार फीसद में मामूली थी। लड़कियों के मुकाबले लड़कों में टेस्ट एंग्जाइटी ज्यादा थी। इसके अलावा, संयुक्त परिवारों के मुकाबले, एकल परिवारों में रहने वाले बच्चे इससे अधिक ग्रस्त थे । इसका कारण बताया गया कि माता-पिता यदि बच्चों पर ध्यान न भी दे पाएं तो दादा-दादी का सहारा मिल जाता है और उन्हें इम्तिहान के दिनों में कम तनाव और चिंता होती है। संयुक्त परिवारों में रहने वाले बच्चों में सीवियर टेस्ट एंग्जाइटी पाई ही नहीं गई । इम्तिहान के दिनों में लगभग सभी बच्चों में चिंता के लक्षण देखे गए। दसवीं, बारहवीं के बच्चों में नौवीं, ग्यारहवीं के बच्चों के मुकाबले अधिक टेस्ट एंग्जाइटी पाई गई। कुछ बच्चों की यह आदत होती है कि जब प्रश्न-पत्र आता है तो सबसे पहले मुश्किल सवालों को हल करने की कोशिश करते हैं, जो कि बिलकुल गलत है। मुश्किल सवालों को करते वक्त यदि किसी सवाल में उलझ गए तो पूरा समय तो उसी में बर्बाद हो जाता है और जो सवाल आपको आते हैं, वह भी छूट जाते हैं।
तो बच्चे क्या करें? जानकारों का कहना है कि इम्तिहान के दिनों में भी बच्चे पूरी नींद लें। पौष्टिक भोजन के साथ-साथ खूब पानी पिएं। हलका व्यायाम भी करें, जिससे तरोताजा रह सकें। सैंपल पेपर उसी तरह से हल करें, जैसे कि इम्तिहान के समय करेंगे, इससे इम्तिहान में आने वाले पेपर का डर खत्म हो जाता है। बार-बार टेस्ट दें। इससे लिखने की आदत तो बनती ही है, समय पर पेपर पूरा करने का अभ्यास भी होता है। पढ़ने का टाइम टेबल भी बनाएं। जो न आता हो, उसे समझने में अध्यापकों और अपने घर के बड़े लोगों की मदद लें। फोकस करना सीखें। ऐसे छोटे-मोटे मनोरंजक प्रोग्राम समय-समय पर देखें, जो तनाव घटाते हैं और हंसाते हैं। यदि जरूरत हो तो काउंसलर या मनोवैज्ञानिक की मदद लें।
इसके अलावा इम्तिहान केंद्र में कई बार बच्चे एडमिट कार्ड लाना भूल जाते हैं। इम्तिहान के दिनों में लिखने-पढ़ने सामान एक जगह ही रखें, ताकि खोजने में समय खराब न हो। अच्छा यह भी रहता है कि इम्तिहान शुरू होने से पंद्रह मिनट पहले परीक्षा केंद्र में पहुंच जाएं, क्योंकि कई बार ऐसी दुर्घटनाएं हो जाती हैं, जिनका पहले से पता नहीं होता । जैसे कि ट्रैफिक जाम में फंसना, साइकिल का पंक्चर होना, जिस दोस्त के साथ जाना था, उसका न आना या देर से आना। घर में किसी का अचानक बीमार पड़ जाना ।
यदि परीक्षा केंद्र पर जल्दी जाने के बारे में सोचेंगे तो इन सभी मुश्किलों से आसानी से निपट सकते हैं। इसके अलावा पहले पहुंचकर दोस्तों से हंसी-मजाक करके भी तनाव कम होता है। हालांकि, कुछ मामलों में देखा गया है कि दोस्त की तैयारी के बारे में जानकर अपनी तैयारी पर शक होने लगता है, इसलिए तनाव और परीक्षा का डर बढ़ता है। परीक्षा के दिनों में माता-पिता को बच्चों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि वे बच्चे की परेशानी से बेखबर रहें और बच्चा अगली किसी भारी परेशानी में पड़ जाए।
यह प्रश्न-पत्र से लेकर कॉपी जांचने और नतीजे तक उदारता बरतने का समय है। पुराने दिनों को याद करती हूं, तो इम्तिहान के दिनों में इतनी नींद आती थी कि किताब सामने है और झपकी आ रही है। मगर जिस दिन इम्तिहान खत्म हो जाते थे, नींद का कहीं पता नहीं होता था। शायद आज भी बच्चों के साथ ऐसा ही होता होगा। मां-बाप को भी चाहिए कि बच्चों पर इम्तिहान के वक्त ज्यादा दबाव न बनाएं बल्कि इतना ही कहें कि खूब मेहनत करो, फिर चाहे नतीजा जो भी हो।

विजय गर्ग
सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट, पंजाब

Share and Enjoy !

Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shares