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The growing problem of digital pollution डिजिटल प्रदूषण की बढ़ती समस्या

डिजिटल प्रदूषण

The growing problem of digital pollution सूचना-प्रौद्योगिकी के इस युग में एक और जहां हमारी डिजिटल निर्भरता बढ़ती जा रही है, वहीं दूसरी ओर ये गतिविधियां डिजिटल प्रदूषण और ई-कचरे का कारण भी बन रही हैं। स्मार्टफोन, लैपटाप और कंप्यूटर का उपयोग करते समय, खासकर इंटरनेट के माध्यम से कुछ भी भेजने, देखने या डाउनलोड करने पर कार्बन फुटप्रिंट उत्पन्न होता है। इस तरह डिजिटलीकरण पर्यावरण संरक्षण की राह में मुश्किलें उत्पन्न करता है, जो अंततः स्वच्छ पर्यावरण के मानव अधिकार में बाधक बनता है।

डिजिटल प्रदूषण दुनिया के वैश्विक ग्रीनहाउस उत्सर्जन में चार प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है। बढ़ते डिजिटलीकरण के कारण यह समस्या गहराती जा रही है। डिजिटल उपकरणों के निर्माण, वितरण, उपयोग और कचरे में रूपांतरण – इन चार चरणों से पर्यावरण को व्यापक क्षति पहुंचती है। डिजिटल गैजेट्स के निर्माण में प्राकृतिक संसाधनों धातु, पानी और ईंधन का भरपूर उपयोग किया जाता है। एक कंप्यूटर बनाने में औसतन 240 किलोग्राम ईंधन, 22 किलोग्राम धातु और 1500 लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है। गैजेट बनाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का खनन और निष्कर्षण किया जाता है। एक मोबाइल फोन लगभग 70 रासायनिक तत्वों से बना होता है।

इसमें सम्मिलित धातु किसी एक देश या महादेश में उपलब्ध भी नहीं होते हैं। बढ़ती तकनीकी मांग के कारण इन खनिजों का अंधाधुंध दोहन किया जा रहा है, जो भविष्य में तकनीकी खाई उत्पन्न कर सकता है। गैजेट्स के निर्माण के दौरान पानी, ईंधन, रसायन की आवश्यकता होती है। बढ़ती मांग के समानांतर इसके उपयोग में वृद्धि होती है। निर्मित गैजेट्स के वितरण में ऊर्जा और धन की व्यापक खपत होती है। जब उपकरण ग्राहक के पास आता है, तो उसके इस्तेमाल की प्रवृत्ति पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है। डिजिटल उपकरण ऊर्जा खपत के लिए जिम्मेदार होते हैं। इन्हें हर दिन या दिन में कई बार चार्ज की आवश्यकता पड़ती है, जिससे ऊर्जा खपत बढ़ती है। वहीं इंटरनेट के माध्यम से हम जो कुछ भी देखते या भेजते हैं, वह कार्बन फुटप्रिंट उत्पन्न करता है। एक फोटो पोस्ट करने से 0.15 ग्राम, एक सेल्फी भेजने से पांच ग्राम और इंटरनेट मीडिया पर 28 मिनट की स्क्रॉलिंग से 42 ग्राम कार्बन डाईआक्साइड का उत्सर्जन होता है। वहीं उपयोग के पश्चात डिजिटल उपकरण कचरे का रूप ले लेते हैं। पुनर्चक्रण न होने की स्थिति में ये भूमि व जल प्रदूषण का कारण भी बनते हैं।

DIGITAL POLUTION
DIGITAL POLUTION

अपने डिजिटल कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए अपनी आदतों और प्राथमिकताओं में बदलाव लाना आवश्यक है। डिजिटल उपकरणों का उपयोग करते समय सतर्कता एवं जिम्मेदारी बरतनी चाहिए। गैरजरूरी डाउनलोड और स्ट्रीमिंग को घटाना एवं ऊर्जा दक्ष उपकरणों का उपयोग करना भी महत्वपूर्ण है।

विजय गर्ग , सेवानिवृत्त प्रिंसिपल , शैक्षिक स्तंभकार, स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट पंजाब

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