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छोटे रिएक्टरों से बढ़ेगी ऊर्जा सुरक्षा

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दुनिया में ऊर्जा उत्पादन के लिए अब बड़े परमाणु रिएक्टरों के बजाय छोटे माड्यूलर रिएक्टरों का चलन बढ़ रहा है। भारत भी माड्यूलर रिएक्टरों के मामले में किसी से पीछे नहीं रहना चाहता। हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आधुनिक परमाणु रिएक्टरों को संयुक्त रूप से विकसित करने का इरादा जाहिर किया। छोटे माड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) और एडवांस्ड माड्यूलर रिएक्टरों (एएमआर) के बारे एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए। एसएमआर कांपैक्ट परमाणु विखंडन रिएक्टर हैं जिन्हें कारखानों में निर्मित किया जा सकता है और फिर कहीं और स्थापित किया जा सकता है। वे आम तौर पर पारंपरिक परमाणु रिएक्टरों की तुलना में कम क्षमता वाले होते हैं। माड्यूलर रिएक्टर माड्यूलर डिजाइन पर आधारित होता है। यह रिएक्टर छोटे और माड्यूलर इकाइयों में बनाया जाता है जिन्हें एक साथ जोड़कर एक बड़ा रिएक्टर बनाया जा सकता है। माड्यूलर रिएक्टर छोटे आकार में बनाए जा सकते हैं, जिससे उन्हें आसानी से कहीं ले जाया जा सकता है। माड्यूलर रिएक्टर की लागत कम होती है, क्योंकि उन्हें माड्यूलर इकाइयों में बनाया जाता है । माड्यूलर रिएक्टर में पैसिव कूलिंग सिस्टम जैसे कई सुरक्षा उपाय होते हैं। इनकी दक्षता बढ़ाने के लिए कई तकनीकों का उपयोग किया जाता है। स्माल माड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) छोटे आकार के रिएक्टर होते हैं जो 10-100 मेगावाट की क्षमता वाले होते हैं। एडवांस्ड माड्यूलर रिएक्टरों को विशेष रूप से सेफ्टी के लिए डिजाइन किया जाता है। इन रिएक्टरों को लागत की दृष्टि से प्रभावी बनाया जाता है।

एडवांस्ड माड्यूलर रिएक्टरों का विकास और उपयोग परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है, जो कि सुरक्षित और कुशल उत्पादन की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान कर सकता है । माड्यूलर रिएक्टर का उपयोग विद्युत उत्पादन के अलावा उद्योगों में ऊर्जा उत्पादन के लिए किया जा सकता है। आने वाले समय में एआइ सिस्टम के संचालन के लिए निर्बाध ऊर्जा की आपूर्ति की जरूरत पड़ेगी। पारंपरिक ऊर्जा स्रोत एआइ सेक्टर की मांग पूरी नहीं कर सकते। निरंतर ऊर्जा के लिए माड्यूलर रिएक्टर ज्यादा उपयोगी होंगे।

भारत में माड्यूलर रिएक्टर की स्थिति में तेजी से प्रगति हो रही है। सरकार ने एसएमआर के अनुसंधान और विकास का समर्थन करने के लिए 20,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ एक परमाणु ऊर्जा मिशन शुरू करने की योजना की घोषणा की है। भारत 2033 तक कम से कम पांच स्वदेशी रूप से विकसित एसएमआर को चालू करने की योजना बना रहा है। भारत में ऊर्जा की मांग तेजी से बढ़ रही है । माड्यूलर रिएक्टर के विकास से भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में आत्मनिर्भर बन सकता है।

विजय गर्ग
सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट, पंजाब

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