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Digital Arrest ‘ डिजिटल अरेस्ट’ का असली मतलब और इससे बचाव के उपाय

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Real meaning of ‘Digital Arrest’ and ways to prevent it साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहा है और इसके दायरे में हम सभी आ सकते हैं । साइबर क्राइम की दुनिया इतनी व्यापक है कि यह हमारे जीवन के हर पहलू में समा चुकी है। चाहे वह किसी की पहचान चुराना हो, ऑनलाइन धोखाधड़ी, डिजिटल अरेस्ट, या फिर किसी का फोन हैक होना, इन सभी अपराधों की जड़ साइबर स्पेस में होती है । साइबर स्पेस से जुड़ा है हर पहलू साइबर क्राइम के केस दिन-ब-दिन बढ़ रहे हैं। यह अपराध अब केवल छोटे-छोटे फ्रॉड्स तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अब यह मर्डर, किडनैपिंग जैसी गंभीर घटनाओं तक भी पहुंच चुके हैं। अगर किसी मर्डर का मामला सामने आता है, तो वह भी साइबर स्पेस से सॉल्व होता है। किडनैपिंग हो या फ्रॉड, साइबर स्पेस के जरिए ही इन मामलों की जांच की जाती है।

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साइबर क्राइम का बढ़ता खतरा

भारत में हर साल लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपए का साइबर क्राइम हो रहा है। डिजिटल अरेस्ट स्कैम के मामले में भारतीयों ने 120 करोड़ रुपए गवाए हैं। साइबर क्राइम का यह स्वरूप इतना बढ़ चुका है कि अब यह क्रिप्टोकरेंसी निवेश जैसे प्लेटफार्मों पर भी फैल गया है। इस तरह के स्कैम में लोग आसानी से फंस जाते हैं क्योंकि वे अपनी निवेश योजनाओं में लापरवाह रहते हैं । साइबर क्राइम केवल एक अपराध नहीं है, बल्कि यह हमारे डिजिटल जीवन को प्रभावित करने वाली एक बड़ी समस्या बन चुकी है। जब तक हम इसकी गंभीरता को नहीं समझेंगे, तब तक हम इसके शिकार हो सकते हैं। इसलिए जितनी जल्दी हो सके, हमें साइबर सुरक्षा के उपायों को अपनाना होगा और सतर्क रहना होगा। किसी भी साइबर फ्रॉड के केस में तुरंत कार्रवाई करने से हम अपने पैसे और डेटा को सुरक्षित रख सकते हैं।

डिजिटल अरेस्ट: एक नया खतरा

एक और खतरनाक ट्रेंड जो इस समय सामने आया है, वह है “डिजिटल अरेस्ट” । यह एक ऐसा धोखाधड़ी तरीका है जिसमें अपराधी किसी को यह बताकर डराते हैं कि वह “डिजिटली अरेस्ट” हो चुका है और अगर उसने बात की तो उसे 20 साल तक की जेल हो सकती है। इससे बचने के लिए कई लोग डर के मारे पुलिस को भी नहीं बताते, जिससे अपराधी और मुनाफा कमाते हैं। डिजिटल अरेस्ट के तहत अपराधियों की रणनीतियाँ डिजिटल अरेस्ट के मामले में अपराधी पीड़ित को मानसिक दबाव डालने के लिए कई कदम उठाते हैं, जो आपकी सुरक्षा और निजता को पूरी तरह से प्रभावित करते हैं ।

digitalscams
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परिवार से संपर्क न करना

अपराधी यह चेतावनी देते हैं कि यदि आपने परिवार या किसी अन्य व्यक्ति से इस बारे में बात की, तो आप पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गंभीर कार्रवाई की जा सकती है। यह किसी को बताने से रोकने का तरीका होता है, जिससे पीड़ित डर के कारण चुप रहता है।

स्थानीय पुलिस से संपर्क न करना

पीड़ित को यह बताया जाता है कि यदि उसने पुलिस से मदद ली, तो उसे और अधिक गंभीर सजा हो सकती है। यह उनके मन में डर और उलझन पैदा करता है, जिससे वह सही कदम उठाने से कतराता है।

डिजिटल सामग्री की छानबीन

अपराधी पीड़ित को यह विश्वास दिलाते हैं कि उनकी निजी जानकारी, जैसे कि सोशल मीडिया अकाउंट्स, ईमेल, और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, पहले से ही उनके नियंत्रण में हैं। इस दबाव को महसूस कर पीड़ित उनसे सहमत हो जाता है, जिससे अपराधी अपने उद्देश्य में सफल होते हैं। बचाव के तरीके समय पर कार्रवाईः साइबर क्राइम के 3-4 घंटे के भीतर शिकायत करने से पैसे रिकवर होने की संभावना 100% तक बढ़ जाती है। जल्दी कदम उठाने से अपराधियों द्वारा की धोखाधड़ी से नुकसान कम किया जा सकता है। सावधान रहेंः किसी भी संदिग्ध लिंक, वेबसाइट, या ऑफर से बचें। अक्सर साइबर क्रिमिनल्स ईमेल, एसएमएस या सोशल मीडिया पर नकली लिंक भेजते हैं, जो आपके व्यक्तिगत जानकारी चुराने के लिए बनाए जाते हैं। साइबर सुरक्षा का ज्ञानः आम जनता को साइबर अपराधों के बारे में जागरूक करना जरूरी है। यदि हम साइबर सुरक्षा के बुनियादी उपायों से परिचित रहें, तो हम साइबर क्राइम से खुद बेहतर तरीके से बचा सकते हैं।

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डिजिटल अरेस्ट को सुरक्षित पासवर्ड और दो-चरणीय प्रमाणीकरणः हमेशा मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें और जहां भी संभव हो, दो- चरणीय प्रमाणीकरण सक्षम करें। यह आपके अकाउंट को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है। ऑनलाइन लेन-देन में सतर्कताः कभी भी संदिग्ध या अपरिचित साइटों पर अपने बैंकिंग या वित्तीय विवरण न डालें। केवल सुरक्षित और विश्वसनीय प्लेटफॉर्म का ही उपयोग करें। ऑटो-फिल सुविधा का इस्तेमाल न करें | सॉफ़्टवेयर और एप्लिकेशन अपडेट करेंः हमेशा अपने डिवाइस के ऑपरेटिंग सिस्टम और एप्लिकेशनों को लेटेस्ट सेफ्टी अपडेट्स के साथ अपडेट रखें। ये अपडेट्स अक्सर सुरक्षा जोखिमों को हल करने के लिए होते हैं ।

विजय गर्ग
सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट, पंजाब

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