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गाजा और लेबनान में चल रही जंग , ईरान ने इजराइल पर क्यों किया हमला

ईरान ने मंगलवार की रात इजराइल पर करीब 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं हैं. ऐसा दावा किया जा रहा है कि ईरान की 90 फीसदी मिसाइलें सही निशाने पर लगीं हैं. यह पहला मौका नहीं है जब ईरान ने इजराइल पर सीधा हमला किया हो इससे पहले अप्रैल में भी ईरान, इजराइल पर सैकड़ों ड्रोन्स और मिसाइलों से हमला कर चुका है. लेकिन तब ईरान का हमला सीरिया में उसके दूतावास के करीब हुए इजराइली हमले का जवाब था, वहीं अब ईरान के हमले के पीछे कई बड़े कारण हैं.

ईरान ने कहा है कि यह हमला हमास चीफ इस्माइल हानिया, हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह और IRGC के जनरल अब्बास निलफोरुशन की हत्या के जवाब में किया है. हमास चीफ इस्माइल हानिया की तेहरान में हुए एक हमले में मौत हो गई थी, वहीं हसन नसरल्लाह और अब्बास निलफोरुशन बेरूत में इजराइल की एयरस्ट्राइक में मारे गए हैं. एक ओर इजराइल की सेना लेबनान में ग्राउंड ऑपरेशन कर रही है, वहीं दूसरी ओर गाजा जंग को एक साल पूरे होने को हैं ऐसे में इजराइल पर ईरान का ये अटैक बदले की कार्रवाई से कहीं ज्यादा मालूम पड़ता है. इजराइल पर ईरान के हमले की 5 बड़ी वजह समझिए.

1. इस्माइल हानिया, नसरल्लाह की मौत का बदला

हमास और हिजबुल्लाह ईरान के ही खड़े किए गए संगठन माने जाते हैं, इनके लड़ाकों की ट्रेनिंग से लेकर हथियार मुहैया कराने तक में ईरान की बड़ी भूमिका मानी जाती है. जब अगस्त में तेहरान में इस्माइल हानिया की मौत हुई थी तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि ईरान, इजराइल से बदला जरूर लेगा. इस्माइल हानिया और हसन नसरल्लाह ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई के करीबी और चहेते माने जाते थे, इनकी मौत न केवल हमास और हिजबुल्लाह के लिए बल्कि ईरान के लिए भी बड़ा झटका है.

2. हमास-हिजबुल्लाह के लड़ाकों का मनोबल बढ़ाना

इस्माइल हानिया और हसन नसरल्लाह ने मौत से हमास और हिजबुल्लाह में न केवल नेतृत्व संकट पैदा हुआ बल्कि इससे इन रेजिस्टेंस ग्रुप के लड़ाकों का मनोबल भी गिरा है, युद्ध के दौरान किसी भी संगठन के चीफ का मारा जाना उसके सदस्यों में निराशा पैदा करता है. ऐसे में ईरान के इस हमले ने हमास और हिजबुल्लाह के लड़ाकों का मोरल बढ़ाया है. ईरान के हमले से उन्हें एक नई ऊर्जा मिली है, ईरान ने उन्हें एहसास कराया है कि वह हर मुश्किल समय में पूरी ताकत के साथ उनके साथ खड़ा है. इससे गाजा और लेबनान में जंग लड़ रहे लड़ाकों को एक बार फिर एक्टिव होने की वजह मिलेगी.

3. गाजा में सीजफायर का वादा अधूरा

जब तेहरान में हमास चीफ इस्माइल हानिया की मौत हुई थी, तभी से ईरान इजराइल पर जवाबी कार्रवाई की धमकी दे रहा था. अमेरिका ने तब डिप्लोमेटिक रणनीति का इस्तेमाल करते हुए ईरान के गुस्से को शांत कर दिया. अमेरिका की ओर से गाजा में सीजफायर का वादा किया गया था, जो एक साल से जंग लड़ रहे हमास और इजराइल के हमले झेल रहे गाजा की आबादी के लिए बड़ी राहत होती. लेकिन अमेरिका के प्रस्ताव को इजराइल ने ठुकरा दिया. अमेरिका, कतर और मिस्र की मध्यस्थता में चली बातचीत बेनतीजा रही. इस बीच इजराइल ने मौके का फायदा उठाया और ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई के चहेते हसन नसरल्लाह को भी मार गिराया. अमेरिका का झूठा वादा भी ईरान के इस हमले की बड़ी वजह है.

4. राष्ट्रपति पेजेश्कियान पर बढ़ रहा था दबाव

हमास चीफ इस्माइल हानिया की मौत तेहरान में तब हुई थी जब वह ईरान के राजकीय मेहमान बनकर पहुंचे थे. हानिया राष्ट्रपति पेजेश्कियान के शपथ ग्रहण में शामिल हुए इसके बाद एक हमले में उनकी हत्या कर दी गई. ईरान इसके लिए इजराइल को ही जिम्मेदार मानता है.

ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई चाहते थे कि इजराइल को जल्द से जल्द और कड़ा जवाब दिया जाए लेकिन ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान इसके लिए राजी नहीं थे. लेकिन अब नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान के राष्ट्रपति पेजेश्कियान पर जवाबी कार्रवाई का दबाव बढ़ रहा था. लोग सड़कों पर उतरकर इजराइल पर पलटवार करने की मांग कर रहे थे. पेजेश्कियान भले ही उदारवादी विचारधारा के हों लेकिन जब बात इजराइल और रेजिस्टेंस फोर्स की हो तो जाहिर है कि उनके लिए एक पक्ष को चुनना आसान होगा.

Israel’s Iron Dome anti-missile system intercepts rockets, as seen from Ashkelon, Israel, October 1, 2024 REUTERS/Amir Cohen

5. ईरान की ताकत का एहसास दिलाना

हमास और हिजबुल्लाह के खिलाफ जंग लड़ रहे इजराइल के प्रधानमंत्री बीते कुछ दिनों से खुलकर ईरान को धमकियां दे रहे हैं. बीते शुक्रवार नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से भी ईरान को खुली चेतावनी दी. हानिया की मौत के बाद अगर नसरल्लाह की मौत पर भी ईरान चुप रह जाता तो उसे दुनिया कमजोर समझती.

बीते कुछ दिनों से नैरेटिव बन रहा था कि इजराइल एक-एक कर ईरान के करीबियों को निपटा रहा है और ईरान चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा. लेकिन ईरान के इस हमले ने इस नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया है. ईरान ने दिखा दिया है कि वह अमेरिका और इजराइल के आगे किसी कीमत पर झुकने वाला नहीं है. अप्रैल में जब हमला हुआ था जब ईरान ने ड्रोन्स से भी अटैक किया था लेकिन इस बार उसने सिर्फ बैलिस्टिक मिसाइल दागीं हैं यानी मंशा साफ थी कि इजराइल को अपनी ताकत का एहसास कराया जा सके.

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